वन्दे मातरम का भाव
हे भारत माता मैं तुम्हारी वंदना करता हूँयहाँ सदा प्रवाहिनी नदियाँ हैं
लहलाहते खेत , फलों से लदे हुए वृक्षों से
यह धरती माँ सदा हरी -भरी रहती है
शीतल और ठंडी मलय पवन सदा
प्रवाहित होती है
चन्द्रमा की श्वेत और सुखद चांदिनी से
रात्री मानो बहुत प्रसन्न रहती है
सुन्दर-सुन्दर पुष्पों से सुशोभित
वृक्षों के समूह इस धरा का सौंदर्य
और बढा देते हैं
ऐसा लगता है , खिले हूए पुष्प भारतमाता
की सुन्दर मुस्कान है और वनों में
गूंजनेवाला पक्षियों का मधूर कलरव
भारतमाता की मीठी वाणी है
यह भारतमाता अति सुख देनेवाली
और श्रेष्ट वर के रूप में सुन्दर
जीवन देनेवाली है
- के . रवि शंकर
wow guruji!!!!! Jiyo!!!!!!! JAI HO!!!!!
ReplyDeletejai hind guruji what a greta poem this, it's very good!!!!
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