Friday, November 26, 2010

prayer song

असतो मा सदगमय
तमसो मा ज्योतिर्गमय
मृत्योर्मामृतं गमय
ॐ शांति :! शांति:!! शांति:!!!
अर्थ  हे ईश्वर , मुझे असत्य से सत्य , अन्धकार से प्रकाश मृत्यु से अमरता के रास्ते पर चेलने की प्रेरणा दे
English: Om! Lead me from untruth to truth, from darkness to light, and from death to imortality. Om! peace be!
peace be!!peace be!!!

संतोष का पुरस्कार 

आसफउद्दौला नेक बादशाह था। जो भी उसके सामने हाथ फैलाता, वह उसकी झोली भर देता था। एक दिन उसने एक फकीर को गाते सुना- जिसको न दे मौला उसे दे आसफउद्दौला। बादशाह खुश हुआ। उसने फकीर को बुलाकर एक बड़ा तरबूज दिया। फकीर ने तरबूज ले लिया, मगर वह दुखी था। उसने सोचा- तरबूज तो कहीं भी मिल जाएगा। बादशाह को कुछ मूल्यवान चीज देनी चाहिए थी। 

थोड़ी देर बाद एक और फकीर गाता हुआ बादशाह के पास से गुजरा। उसके बोल थे- मौला दिलवाए तो मिल जाए, मौला दिलवाए तो मिल जाए। आसफउद्दौला को अच्छा नहीं लगा। उसने फकीर को बेमन से दो आने दिए। फकीर ने दो आने लिए और झूमता हुआ चल दिया। दोनों फकीरों की रास्ते में भेंट हुई। उन्होंने एक दूसरे से पूछा, 'बादशाह ने क्या दिया?' पहले ने निराश स्वर में कहा,' सिर्फ यह तरबूज मिला है।' दूसरे ने खुश होकर बताया,' मुझे दो आने मिले हैं।' 'तुम ही फायदे में रहे भाई', पहले फकीर ने कहा। 

दूसरा फकीर बोला, 'जो मौला ने दिया ठीक है।' पहले फकीर ने वह तरबूज दूसरे फकीर को दो आने में बेच दिया। दूसरा फकीर तरबूज लेकर बहुत खुश हुआ। वह खुशी-खुशी अपने ठिकाने पहुंचा। उसने तरबूज काटा तो उसकी आंखें फटी रह गईं। उसमें हीरे जवाहरात भरे थे। कुछ दिन बाद पहला फकीर फिर आसफउद्दौला से खैरात मांगने गया। बादशाह ने फकीर को पहचान लिया। वह बोला, 'तुम अब भी मांगते हो? उस दिन तरबूज दिया था वह कैसा निकला?' फकीर ने कहा, 'मैंने उसे दो आने में बेच दिया था।' बादशाह ने कहा, 'भले आदमी उसमें मैंने तुम्हारे लिए हीरे जवाहरात भरे थे, पर तुमने उसे बेच दिया। तुम्हारी सबसे बड़ी कमजोरी यही है कि तुम्हारे पास संतोष नहीं है। अगर तुमने संतोष करना सीखा होता तो तुम्हें वह सब कुछ मिल जाता जो तुमने सोचा भी नहीं था। लेकिन तुम्हें तरबूज से संतोष नहीं हुआ। तुम और की उम्मीद करने लगे। जबकि तुम्हारे बाद आने वाले फकीर को संतोष करने का पुरस्कार मिला।'
                                                                                                     मोहम्मद    जावीद             



तुम दीवाली बनकर



तुम दीवाली बनकर जग का तम दूर करो,
मैं होली बनकर बिछड़े हृदय मिलाऊँगा!

सूनी है मांग निशा की चंदा उगा नहीं
हर द्वार पड़ा खामोश सवेरा रूठ गया,
है गगन विकल, आ गया सितारों का पतझर
तम ऐसा है कि उजाले का दिल टूट गया,
तुम जाओ घर-घर दीपक बनकर मुस्काओ
मैं भाल-भाल पर कुंकुम बन लग जाऊँगा!

तुम दीवाली बनकर जग का तम दूर करो,
मैं होली बनकर बिछड़े हृदय मिलाऊँगा!

कर रहा नृत्य विध्वंस, सृजन के थके चरण,
संस्कृति की इति हो रही, क्रुद्व हैं दुर्वासा,
बिक रही द्रौपदी नग्न खड़ी चौराहे पर,
पढ़ रहा किन्तु साहित्य सितारों की भाषा,
तुम गाकर दीपक राग जगा दो मुर्दों को
मैं जीवित को जीने का अर्थ बताऊंगा!

तुम दीवाली बनकर जग का तम दूर करो,
मैं होली बनकर बिछड़े हृदय मिलाऊँगा!

इस कदर बढ़ रही है बेबसी बहारों की
फूलों को मुस्काना तक मना हो गया है,
इस तरह हो रही है पशुता की पशु-क्रीड़ा
लगता है दुनिया से इंसान खो गया है,
तुम जाओ भटकों को रास्ता बता आओ
मैं इतिहास को नये सफे दे जाऊँगा!

तुम दीवाली बनकर जग का तम दूर करो,
मैं होली बनकर बिछड़े हृदय मिलाऊँगा!

मैं देख रहा नन्दन सी चन्दन बगिया में,
रक्त के बीज फिर बोने की तैयारी है,
मैं देख रहा परिमल पराग की छाया में
उड़ कर आ बैठी फिर कोई चिंगारी है,
पीने को यह सब आग बनो यदि तुम सावन
मैं तलवारों से मेघ-मल्हार गवाऊँगा!

तुम दीवाली बनकर जग का तम दूर करो,
मैं होली बनकर बिछड़े हृदय मिलाऊँगा!

जब खेल रही है सारी धरती लहरों से
तब कब तक तट पर अपना रहना सम्भव है!
संसार जल रहा है जब दुख की ज्वाला में
तब कैसे अपने सुख को सहना सम्भव है!
मिटते मानव और मानवता की रक्षा में
प्रिय! तुम भी मिट जाना, मैं भी मिट जाऊँगा!

तुम दीवाली बनकर जग का तम दूर करो,
मैं होली बनकर बिछड़े हृदय मिलाऊँगा!


- गोपालदास "नीरज"

Wednesday, November 24, 2010

                                                     हंस  दो  ना  !!!!!!!
अध्यापक: " बाबर भारत मे कब आया?"
बंटी: "पता नही सर।"
अध्यापक: " बोर्ड पर नही देख सकते, नाम के साथ ही लिखा है।"
बंटी: मैने सोचा, शायद वह उसका फ़ोन नम्बर है।"
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भिखारी (एक आदमी से) - सर, अंधे भिखारी को दस रुपये दे दो।
आदमी-  पर आपकी एक आंख तो ठीक है।
भिखारी- ओके तो फिर पांच रुपये ही दे दो।
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पत्नी (पति से)-  मेरे पिताजी जब गाते थे तो उड़ते हुए पंछी गिर जाया करते थे।‘
 पति (पत्नी से)-  ‘क्या तुम्हारे पिताजी मुंह में कारतूस भर कर गाते थे।‘
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पति (पत्नी से)- तुम इतनी अच्छी रोटियां नहीं बना सकती, जितनी अच्छी मेरी मां बनाती थी।
पत्नी (पति से)- और तुम भी उतना अच्छा आटा नहीं गूंथ सकते, जितना अच्छा मेरे पिताजी गूंथते थे।
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एक भिखारी ने दरवाजे पर आवाज लगाई-  दाता के नाम पर रोटी दे दो।
अंदर से आवाज आई  - मम्मी घर में नहीं हैं।
भिखारी - मैं रोटी मांग रहा हूं, तुम्हारी मम्मी नहीं।
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एक व्‍यक्‍ि‍त (डॉक्‍टर से) : मुझे एक परेशानी है ।
डॉक्‍टर : बताइये, क्‍या दि‍क्‍कत है आपको ?
व्‍यक्‍ति‍ : बात करते समय मुझे आदमी दि‍खायी नहीं देता।
डॉक्‍टर :  ओह, ऐसा कब होता है ?
व्‍यक्‍ति‍ : जी, वो.. फोन पर बात करते समय।
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                                                                                                                                       ***   विन्प्रीत
 
 

Thodaa hans lo !!!

              कुछ  मजेदार "नैनो"  कार्टून









                                                                                                               -विन्प्रीत

Friday, November 19, 2010

हमारी ओर से प्रदर्शनी के लिए शुभकामनाएँ
                                      अध्यापक तथा अध्यापिकाएं
चुटकले 


माँ : बेटा , धूप ले आओ मुझे पूजा .....
बेटा माँ धूप कहाँ से लाओं ? आज तो बादल छाएँ हैं 
माँ : !!!


माँ : बेटी शरबत क्यों बना रही हो 
बेटी माँ , मीठा बोलने के लिए इसे पिऊँगी 


कौआ : तुमने मेरा रंग चुराया, अब आवाज़ भी चुरा लो 
कोयल : !!! 


                                  -के . रविशंकर 

Wednesday, November 17, 2010

शुभकामनाएं !


प्रिम्रोसे परिवार की  ओर से आप सभी को विज्ञानं, अंग्रजी , कला और शिल्प,  प्रदर्शनी  की
  शुभकामनाएं !!! 

-विन्प्रीत 
-रविशंकर 

Monday, November 15, 2010


क्या आप जानते हैं?

भारत ने दुनिया को बहुत कुछ दिया और भारत ने अपने 10 हजार वर्षों के इतिहास में, सक्षम होते हुए भी कभी किसी अन्य देश पर आक्रमण नही किया। आइए, भारत के बारे में कुछ जानें:

  • भारतीय सँस्कृति व सभ्यता विश्व की पुरातन में से एक है।

  • भारत दुनिया का सबसे पुरातन व सबसे बड़ा लोकतंत्र है।

  • भारत ने शून्य की खोज की। अंकगणित का आविष्कार 100 ईसा पूर्व भारत मे हुआ था।

  • हमारी संस्कृत भाषा सभी भाषाओं की जननी मानी जाती है। सभी यूरोपीय भाषाएँ संस्कृत पर आधारित मानी जाती है।

  • सँसार का प्रथम विश्वविद्यालय 700 ई. पू. तक्षशिला में स्थापित की गई थी। तत्पश्चात चौथी शताब्दी में नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना की गई।

  • 5000 वर्ष पूर्व जब अन्य संस्कृतियां खानाबदोश व वनवासी जीवन जी रहे थे तब भारतीयों ने सिंधु घाटी की सभ्यता में हड़प्पा संस्कृति की स्थापना की।

  • महर्षि सुश्रुत सर्जरी के आविष्कारक माने जाते हैं। 2600 साल पहले उन्होंने अपने समय के स्वास्थ्य वैज्ञानिकों के साथ प्रसव, मोतियाबिंद, कृत्रिम अंग लगाना, पत्थरी का इलाज और प्लास्टिक सर्जरी जैसी कई तरह की जटिल शल्य चिकित्सा के सिद्धांत प्रतिपादित किए।

  • ब्रिटिश राज से पहले तक भारत विश्व का सबसे समृद्ध राष्ट्र था व इसे, 'सोने की चिड़िया' कहा जाता था।

  • आधुनिक भवन निर्माण पुरातन भारतीय वास्तु शास्त्र से प्रेरित है।

  • कुंग फू मूलत: एक बोधिधर्म नाम के बोद्ध भिक्षु के द्वारा विकसित किया गया था जो 500 ई के आसपास भारत से चीन गए।

  • वाराणसी अथवा बनारस दुनिया के सबसे प्राचीन नगरों में से एक है। महात्मा बुद्ध ने 500 ई. पू. बनारस की यात्रा की थी। बनारस विश्व का एकमात्र ऐसा प्राचीन नगर है जो आज भी अस्तित्व में है।

  • सबसे प्राचीन उपचार प्रणाली आयुर्वेद है। आयुर्वेद की खोज 2500 साल पहले की गई थी।

  • बीजगणित की खोज भारत में हुई।

  • रेखा गणित की खोज भारत में हुई थी।

  • शतरंज अथवा अष्टपद की खोज भारत मे हुई थी।

  • हिन्दू, बौद्ध, जैन अथवा सिख धर्मों का उदय भारत में हुआ।

  • कम्प्यूटर के लिए सबसे उपयुक्त भाषा भी संस्कृत ही मानी है।
                                                                जाविद

Friday, November 12, 2010

HAPPY CHILDRENS DAY

children's day hindi greeting
 
 
 
 --- वरिष्ठ हिंदी अध्यापक रविशंकर ,   विन्प्रीत
 
 
 
 
 
 
 
 

Friday, November 5, 2010

टना टन चुटकुले



हस्ते रहो  

                        
एक लड़का दुकान पर खड़ा चांदी के कप देख रहा था 

उसने एक कप हाथ में लेकर दुकानदार से पुचा :-

"यह किस काम  आते हैं बड़े मियां?

दुकानदार - दौड़ में सबसे आगे निकलने वाले लड़के को इनाम दिया जाता है

लड़काफिर में दोड़ता  हूँ.


... और लड़का चांदी का कप लेकर भाग गया

                                      *************                                  


Judge : तुम  apni   limit  क्रोस  kar  rahe  हो

Lawyer: कौन  साला  aisa   कहता  है  ? 

Judge: Tum  ने   muje  sala  bola ?

Lawyer: nahi   My  Lord , I  asked  कौन  -सा  - LAW     aisa  कहता  हे?
 
                           *************

एक फूटबाल मैच  में :-
Lalu :Yeh  लोग  बौल को  pair  kyun  maar  rahe  हैं ?
Galu :  गोल  करने  के liye
Lalu : पर यह   तो  पहले से   ही  गोल 

है , और कितनी  गोल  करेंगे.... 
                                 
************

 सीता: गीता तुम रोओ मत
गीता : आचा तो फिर तुम ही यह प्याज काट लो...

                           ***************            
                                                
                                                     निमान्शी
                                                   कक्षा :- आठवी       

Wednesday, November 3, 2010

                                                               प्रयाण गीत

वीर तुम बढ़े चलो
धीर तुम बढ़े चलो
साथ में ध्वजा रहे
बाल दल सजा रहे
ध्वज कभी झुके नहीं
दल कभी रुके नहीं।
सामने पहाड़ हो
सिंह की दहाड़ हो
तुम निडर,हटो नहीं
तुम निडर,डटो नहीं
वीर तुम बढ़े चलो
धीर तुम बढ़े चलो
प्रात हो कि रात हो
संग हो न साथ हो
सूर्य से बढ़े चलो
चन्द्र से बढ़े चलो
वीर तुम बढ़े चलो
धीर तुम बढ़े चलो


                                                  जपना
                                                    कबीर  के दोहे


दुःख में सुमिरन सब करे सुख में करै न कोय।
जो सुख में सुमिरन करे दुःख काहे को होय ॥

बडा हुआ तो क्या हुआ जैसे पेड़ खजूर।
पंथी को छाया नही फल लागे अति दूर ॥

साधु ऐसा चाहिए जैसा सूप सुभाय।
सार-सार को गहि रहै थोथा देई उडाय॥

साँई इतना दीजिए जामें कुटुंब समाय ।
मैं भी भूखा ना रहूँ साधु न भुखा जाय॥

जो तोको काँटा बुवै ताहि बोव तू फूल।
तोहि फूल को फूल है वाको है तिरसुल॥

उठा बगुला प्रेम का तिनका चढ़ा अकास।
तिनका तिनके से मिला तिन का तिन के पास॥

सात समंदर की मसि करौं लेखनि सब बनराइ।
धरती सब कागद करौं हरि गुण लिखा न जाइ॥

साधू गाँठ न बाँधई उदर समाता लेय।
आगे पाछे हरी खड़े जब माँगे तब देय॥

चौदह सौ पचपन गये, चंद्रवार, एक ठाट ठये।
जेठ सुदी बरसायत को पूनरमासी प्रकट भये।।

माटी कहे कुम्हार से, तु क्या रौंदे मोय ।
एक दिन ऐसा आएगा, मैं रौंदूगी तोय ॥

माला फेरत जुग भया, फिरा न मन का फेर ।
कर का मन का डार दे, मन का मनका फेर ॥

तिनका कबहुँ ना निंदये, जो पाँव तले होय ।
कबहुँ उड़ आँखो पड़े, पीर घानेरी होय ॥

गुरु गोविंद दोनों खड़े, काके लागूं पाँय ।
बलिहारी गुरु आपनो, गोविंद दियो मिलाय ॥

सुख मे सुमिरन ना किया, दु:ख में करते याद ।
कह कबीर ता दास की, कौन सुने फरियाद ॥

धीरे-धीरे रे मना, धीरे सब कुछ होय ।
माली सींचे सौ घड़ा, ॠतु आए फल होय ॥

कबीरा ते नर अँध है, गुरु को कहते और ।
हरि रूठे गुरु ठौर है, गुरु रूठे नहीं ठौर ॥

माया मरी न मन मरा, मर-मर गए शरीर ।
आशा तृष्णा न मरी, कह गए दास कबीर ॥

रात गंवाई सोय के, दिवस गंवाया खाय ।
हीरा जन्म अमोल था, कोड़ी बदले जाय ॥

जैसा भोजन खाइये, तैसा ही मन होय ।
जैसा पानी पीजिये, तैसी बानी सोय ॥

जो तोको काँटा बुवै, ताहि बुवै तू फूल ।
तोहि फूल को फूल है,वाको है तिरशूल ॥

मूरख को समुझावते, ज्ञान गाँठि का जाय ।
कोयला होय न ऊजला, सौ मन साबुन लाय ॥

शब्द सम्हारे बोलिये,शब्द के हाँथ न पाँव ।
एक शब्द औषधि करे, एक शब्द करे घाव ॥


        -विन्प्रीत
                                                       बौड़म जी बस में

बस में थी भीड़
और धक्के ही धक्के,
यात्री थे अनुभवी,
और पक्के ।

पर अपने बौड़म जी तो
अंग्रेज़ी में
सफ़र कर रहे थे,
धक्कों में विचर रहे थे ।
भीड़ कभी आगे ठेले,
कभी पीछे धकेले ।
इस रेलमपेल
और ठेलमठेल में,
आगे आ गए
धकापेल में ।

और जैसे ही स्टाप पर
उतरने लगे
कण्डक्टर बोला-
ओ मेरे सगे !
टिकिट तो ले जा !

बौड़म जी बोले-
चाट मत भेजा !
मैं बिना टिकिट के
भला हूँ,
सारे रास्ते तो
पैदल ही चला हूँ ।

                                                   --- विन्प्रीत

Tuesday, November 2, 2010

जीवन का रहस्य 
अज्ञान को दूर करो
ज्ञान ज्योति फैलाओ
द्वेष ,ईर्ष्या आदि दुर्गुणों को छोड़ दो 
उदार,दया आदि को सदगुणों अपना लो 
स्वार्थ , अभिमान आदि अवगुणों को छोड़ दो 
हितैषी,विनय आदि सदगुणों को ग्रहण कर लो 
यही है जीवन का रहस्य जान लो 
रहेंगे शांति से 
जीवन को ले चलेंगे उन्नति मार्ग से 
मान लो या ठुकरा दो 
        - के . रविशंकर 

Meri Maa

मेरी माँ है बड़ी प्यारी,
मुझको लगती है वह न्यारी |
स्वादिष्ट पकवान बनाती है,
त्यौहार पे घर  को सजाती  है |
मेरे साथ वह खेलती है,
में शैतानियाँ  झेलती है |
रंग बिरंगी साडी पहनाये ,
खुद पर सजाये  गहने खूब सारे |
है मेरी माँ   बड़ी प्यारी |

                                                                    
                                                                          -विमीना