Saturday, October 30, 2010

सम्मान प्राचार्य, वरिष्ठ हिंदी महोदय रविशंकर, सभी शिक्षकों और छात्रों को 





Diwali Greetings


विन्प्रीत
                                                      शुभ दीपावली!!!

जगमग जगमग दीप जले
आये घर में खुशहाली
आपके जीवन में आये न
कोई अँधेरी रात काली


दुःख दरिद्र सब दूर हो
घर में हो लक्ष्मी का बसेरा
जीवन में आपके कभी
हो न क्षणिक मात्र भी अँधेरा


चेहरे से झलके चिंता न कभी भी
हर पल आनद का अहसास हो
आपके मन मंदिर में केवल
बस ईश्वर का वास हो


भटको ना कभी तुम डगर से अपने
सत्य हो आपके हमेशा करीब
चाहे लाखों तूफान आये
बुझे न आपके जीवन का दीप


हो चारों तरफ हरियाली आपके
खिल उठे हर मुरझाई कली
उमंगो और उत्साह से भरी
मुबारक हो आपको दीपावली !!!


विन्प्रीत 

Say NO to Polybags

                                                पोली  बैग   कभी   नहीं !!
 
टक बक टक बक ता ता थय्या
पोली बैग को ना ना भैया!
टक बक टक बक ता ता थय्या
पोली बैग को ना ना भैया!

   लेकिन क्यूँ?

                       पोली बैग जो खाएगी तो गाय मर जायेगी
                       मम्मी दूध हमारे घर में कहाँ से  फिर लाएगी
                       गलियों में पानी होगा जब गटर बंद हो जायेंगे
                       हम छोटे छोटे बच्चे कैसे स्कूल को जायेंगे ?!

   और क्या होगा ?

                          खेतों के नन्हे पौधे भी सांस नहीं ले पायेंगे
                          सब्जी महंगी हो जायेगी फल थोडे से आयेंगे!

                          सारे बच्चे मिल कर
                          हम छोटे बच्चों की मानो थैला ले कर जाओ
                          या बाज़ार से कागज़ के थैले में सौदा लाओ

                         भैया पोली बैग नहीं कागज़ का थैला देना
                         अपनी धरती साफ़ रखेंगे मिल कर
   बोलो! है ना!

विन्प्रीत
                                                              सर्दी - खांसी

सर्दी-खांसी से बुरा हाल है Cold and cough
डॉक्टर को दिखाया है
हालत सुधर रही है
ढेरों कैप्सूल खाया है!


                     जब सर्दी-खांसी हो जाती है
                     मन चिडचिडा हो जाता है
                     नाक बहती रहती है
                     कुछ भी नहीं भाता है!


भगवान् बड़े रोग दे दे
पर दे न कभी सर्दी-खांसी
कुछ खास नुकसान तो नहीं होता
पर मन में छायी रहती उदासी!


                     सर में थकान सी रहती है
                    सब भारी-भारी लगता है
                    किसी काम में दिल नहीं लगता
                     बस सोने का मन करता है!


नाक सुड-सुड करता है
आवाज अजीब हो जाती है
कुछ दिन आदमी नहीं नहाता
छीकें खूब आती हैं!


                       मैं तो  इतनी  हेल्थी हूँ
                       फिर भी सर्दी लग जाती है
                        प्रकृति के आगे जोर नहीं चलता
                       सर्दी-खांसी सालाना आती है!


विन्प्रीत

Friday, October 29, 2010

प्यारे छात्रों 
हम सब की ओर से 

 " दीपावली की शुभकामनाएं " 

दीपावली आई,दीपावली आई 
खुशियाँ लायी,खुशियाँ लायी 
अँधेरा को दूर करके प्रकाश लायी 
हे दोस्तों  हम 
 शपथ लेंगे पटाखे न छोड़ेंगे 
वातावरण को दूषित न करेंगे 
वादा करेंगे हम
अंनाथ बच्चों को 
मिठाईयां खिलाएंगे 
बाँटेंगे हमारी खुशियाँ 
दूर करेंगे उनकी उदासियाँ 
                                                                         -के.रवि शंकर 



make a pictorial chart on 'The Rights of Children '

'बच्चों के अधिकार' विषय से सम्बंधित एक सचित्र चार्ट बनायें 
सभी बच्च्लों को पढने की सुविधा प्रदान करना 
पढने - लिखने  के सभी साधन कराना 
पढाई के लिये अनुकूल परिस्थितयां बनाना 
पौष्टिक (स्वास्थ्यकर) भोजन उपलब्ध कराना 
खेलने की सुविधा और साधन प्रधान करना 
के रविशंकर 


कृपया चार्ट हो सके तो मेरा जीमेल में भेजना 


LANGUAGE LADDER

शब्द सीढ़ी
आ ल सी
        मा स
             ड़
             क  ल  म
                      ट
                      का  ग ज
   इस तरह शब्द - सीढ़ी को दोनों ओर लिखिये
के रवि शंकर

Tuesday, October 26, 2010



एक शब्द दीजिये 
शहर में रहनेवाला -
कविता लिखनेवाली-
सुनने वाला -
जिसे सत्य प्यारा हो -
इतिहास से सम्बन्ध रखनेवाला -
कम खाने वाला -
जो जो सही उतर जानते हैं मेरे पास या विन्प्रीत मेम के पास दिखायिए अन्तिम तारीख नवम्बर २

Saturday, October 23, 2010

wah re delhi !!!

                                                           वाह रि !!!   Delhi
 
 
यह कैसी है दिल्ली भाई।
हमको कुछ समझ न आई।।                                       
पहाड़गंज में 'पहाड़' नहीं
दरियागंज में 'दरिया' नहीं।।

चाँदनी चौक में कहाँ चाँदनी?
और धौला कुआँ में 'कुआँ' नहीं।।

नई सड़क  -  पुरानी दिल्ली में।
और किला पुराना  -  नई दिल्ली में।।

                             

        विन्प्रीत


मरण और जीवन 
चाहता है मन जीने को 
सोचता है खुश पाने को
लेकिन 
तत्य तथा सत्य है 
जीना मुश्किल है 
जीवन तो संघर्षमय है 
झूठे जीवन जीना है
हाँ यह तो सत्य है 
जरा देखिये 
रोना पडता है मगर 
विपरित हँसना है 
अपनी व्यथा को 
मन में रखकर 
साफ नजर पेश आना पड़ता है
यह सब मुश्किल है न
अतः मरना आसान है 
कहते है कायर लोग 
वीर  डटकर लडते 
यही हैं फरक 
- के .रविशंकर 


Wednesday, October 20, 2010

Challenge for the students

 ऋ 
क  
 प्र 
 सि 
 द्ध 
 ट 
या 
में  
 सौ 
 वि 
 चि
 त्र
 ण
 वा
 स्व 
 भा
 के 
 आ 
वि 
 ड
 न 
 च्छ
 ग्य
 स 
 द
 थ
 अ 
 ए
 त 
 शा 
 ज्ज 
 र 
 झी 
 प 
 आ 
 म 
 ली 
 न 
 णी 
  ठु 
 न 
 पु 
 ल 
 कि
 त
 य 
 ड
 भ


इस वर्ग - पहेली में कुछ विशेषण छिपे हैं ,उन्हें ढूँढकर लिखिये . ये विशेषण बाएं से दायें तथा ऊपर से नीचे लिखे
कृपया नोटबुक में लिखकर दिखाये



Monday, October 18, 2010

पिछले कुछ समय  से हमारे वरिष्ठ  सर रविशंकर  हिन्दी के ब्लॉग
 से आप सब  से  नाता जोडने की कोशिश कर रहे
है । अब हिन्दी में लिखते हुए बहुत अजीब सा लगता है। ये ब्लोग एक कोशिश है इस दुरी को मिटाने की ।
मैं यहां पर हर सप्ताह में कम से कम एक बार लिखने का प्रयत्न करूंगी !  
अभी तो हिन्दी में टाईप करने में ही अच्छी खासी मेहनत लग जाती है ।
अगर आप गलती से इस ब्लोग पर आ पहुंचे हैं, तो अनुरोध है कि कुछ टिप्पणी (comment) जरुर छोड़ियेगा ।

धन्यवाद

विन्प्रीत

idioms-definition

परिभाषा
मुहावरे भाषा की जान है कोई भी ऐसा वाक्यांश , जिसका शब्दार्थ न लेकर कोई विलक्षण अर्थ लिया जाय,मुहावरा कहलाता है.
के .रविशंकर

Saturday, October 16, 2010

Hindi Proverbs

बन्दर क्या जाने अदरक का स्वाद
 English : What does a monkey know of the taste of ginger?
Meaning : someone who can't understand can't appreciate



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दूर  के ढोल सुहावने लगते हैं 

English : The drums sound better at a distance
Meaning : We tend to like the ones we don't have.

विन्प्रीत
 .
Thukraado Yaa Pyaar Karo - by Subhadra Kumari Chauhan
विन्प्रीत

Wednesday, October 13, 2010

जीनीयस डाक्टर - ए.पी.जे. अब्दुल कलाम

मैनें देखा एक डाक्टर, जो है बडा होशियार
बहुत ही सीधा
, सरल और ईमानदार
ना दवाई ना गोली
, बस बोले मीठी बोली
जादूगर है वो कैसे
, गिन लेते है तारे ऐसे
सूर्य को कर देते भाग
, गृहो को मिलादे एक साथ
जिन्हें है चांद तारो पर जानें की आस
उनके लिये वो रॉकेट बनाते खास
क्या आप जानते है
, कौन है वे व्यक्ति महान
जो है झरने जैसे शीतल
, और पहाड ज़ैसे महान
उनका नाम है डाक्टर ए
.पी.जे. अब्दुल कलाम.
उनका नारा -हर दिये को जलने दो
हर बच्चे को पढने दो
कडी मेहनत से ना कोई मरता
आओ सोचे और उन्नती करे

नासमझी की तबाही से बचे

जपना
कक्षा : आठवी


 

Tuesday, October 12, 2010

                                                                    कवि सोम ठाकु

सोम ठाकुर के अनुसार   " किसी भी भाषा का महत्व उसके शब्दों के शुद्ध उच्चारण में हैं . यदि उच्चारण अशुद्ध है ,  तो बोलनेवाला कितना ही विद्वान क्यों न हो , लोग बेवकूफ ही समझंगे "
के रवि शंकर 

Monday, October 11, 2010

संध्या

                                                                संध्या
 साँझ भई रवि की किरणों ढलने लगी ;
पेड़ों पर चिड़िया चहचहाने लगीं
सूरज का प्रकाश फीका होने लगा
अन्धकार का आवरण फैलने लगा
               नभ में धीरे -धीरे तारे टिमटिमाने लगे
              मैदान से दोस्त -दोस्त घर लौटने लगे
              घोंसलों में पक्षियों नींद में डूबने लगी
              दुनिया की आहटे चुप होने लगी
                                                                                - संध्या
                                                                      कक्षा सातवीं 
                                                                             

Friday, October 8, 2010


वन्दे मातरम का भाव
हे भारत माता मैं तुम्हारी वंदना करता हूँ
यहाँ सदा प्रवाहिनी नदियाँ हैं
लहलाहते खेत , फलों से लदे हुए वृक्षों से
यह धरती माँ सदा हरी -भरी रहती है
शीतल और ठंडी मलय पवन सदा
प्रवाहित होती है

चन्द्रमा की  श्वेत और सुखद चांदिनी से
रात्री  मानो बहुत प्रसन्न रहती है
सुन्दर-सुन्दर पुष्पों से सुशोभित
वृक्षों के समूह इस धरा का सौंदर्य
और बढा देते हैं

ऐसा लगता है , खिले हूए पुष्प भारतमाता
की सुन्दर मुस्कान है और वनों में
गूंजनेवाला पक्षियों का मधूर कलरव
भारतमाता की मीठी वाणी है
यह भारतमाता अति सुख देनेवाली
और श्रेष्ट  वर के रूप में सुन्दर
जीवन देनेवाली है
                                                            - के . रवि शंकर
आज की तारिख में आतंकवाद आधुनिक समाज की सबसे बड़ी समस्याओं में से एक है I केवल भारत में ही नहीं, पूरे विश्व में आतंकवाद की जड़ें फ़ैल चुकी हैं I आतंकवाद तथा उसे फैलाने वालों के कारण आज हमारे देश को अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है I पहले  पंजाब और फिर जम्मू और कश्मीर में आतंकवाद ने अपनी जड़ें मज़बूत कीI आज आतंकवाद पूरे देश भर में फ़ैल चूका है I आतंकवादी गतिविधिओं के कारण देश में सकारात्मक कार्य-कलापों को भरी नुक्सान पहुँच रहा है I आज समूचा देश आतंकवाद रूपी दैत्य की चपेट में आ चूका है I आज आतंकवादी संगठन न सिर्फ राष्ट्रीय बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी जड़ें मज़बूत कर रहे हैं I अपने देश के अन्दर की  समस्याओं का तो हम समाधान कर सकते हैं पर सीमा पार से चलाए जा रहे आतंकवाद का सामना करना अत्यंत कठिन है I अतः आतंकवाद की समस्या पर सम्पूर्ण विश्व को एकमत होकर कार्य करना होगा क्यों की यह केवल हमारी समस्या नहीं है बल्कि आज यह समूचे विश्व की समस्या है I

अखबारों में आज-कल अपहरण, हत्या, बम विस्फोट, लूट-पात इत्यादि आतंकवादी गतिविधिओं  की ही खबर है I आज देश का आम आदमी सुरक्षित नहीं है I आज के हमारे आधुनिक समाज में  कुछ भी संभव है, कोई भी अनहोनी कभी भी घाट सकती है I मासून बच्चों के हाथ में हथियार थमा कर उन्हें आतंकवादी बनाया जा रहा है I सीमा पार ऐसे अनगिनत प्रशिक्षण केंद्र हैं जहाँ उन्हें आतंक फैलाने के लिए पूरी तरह तैयार किया जाता है I आतंकवादी संगठन उनकी गरीबी का फ़ायदा उठाकर उन्हें अपने जाल में फांस लेते हैं I इसी गरीबी और बदहाली भरे जीवन के कारण पढ़े-लिखे बेरोजगार नौजवान आतंकवाद की और अपना कदम बढाते हैं I उनकी कंजोरी का फ़ायदा उठाकर उन्हें धर्म के नाम पर भड़काया जाता है I इसी आतंकवाद के कारण कश्मीर अपनी सुन्दरता खो चूका है I आज वादिओं में प्यार और भाईचारा नहीं, बल्कि आतंकवाद पनपता है I कभी जिस कश्मीर की तुलना स्वर्ग से की जाती थी आज वही कश्मीर नर्क बन चूका है I इसका कारण कवल और केवल आतंकवाद है I

देश में फैले हुए इस आतंकवाद के कारणों का पता लगाना कोई मुश्किल काम नहीं हैI पढ़े-लिखे बेरोजगार युवक आज आतंकवादी बन रहे हैं I उनकी लाचारी और बेबसी का फ़ायदा उठाकर थोड़े से पैसं में उन्हें खरीद लिया जाता है I कुछ लोगों की महत्वाकांक्षा ने भी देश में आतंकवाद को बढावा दिया है I ये लोग अपने व्यक्तिगत स्वार्थ के लिए आतंकवादिओं  और असामाजिक तत्वों की सहायता करते और लेते हैं ताकि समाज के निचले वर्गों का शोषण कर सकें और अपनी झोली भर सकें I इस पूरी प्रक्रिया में मासूम बच्चों का जीवन नष्ट होता ही है, साथ ही साथ, न कवल उनका परिवार नष्ट होता हैा, बल्कि पूरा समाज दूषित हो जाता है I सीमा पार बैठे दुश्मन से ज्यादा खतरनाक घर के अन्दर घुसा वह दुश्मन है जो दीमक की तरह अन्दर ही अन्दर जड़ों को खोखला बनता जाता है I आज  लोग अपनी बदली हुई मानसिकता के कारण सही और गलत का विचार नहीं कर पाते और सहज ही मारे लालच के बुराई की और चले जाते हैं I सरकारी अधिकारी और राजनेता भी कुछ कम नहीं हैं I कहीं न कहीं, किसी न किसी तरह, आतंकवाद के जोर पकड़ने के लिए वे भी उत्तरदायी हैं I लोगों  के मन में बसा डर भी एक कारण हो सकता है I हम सबको अपना और अपने परिवार का जीवन प्यारा होता हैI जब अपनी जान पर बन आती है, आदमी दूसरों की परवाह नहीं करता, समाज और देश तो दूर की बात है I आदमी के मन में बसा येही वोह डर है जिसके कारण वह आतंकवाद का विरोध नहीं कर पाटाI वह भूल जाता है कि ज़ुल्म धाने से बड़ा अपराधी ज़ुल्म सहने वाला होता है I

ऐसा बिलकुल नहीं है कि दुनिया भर की सरकारें हाथ पर हाथ धरे बैठी हैं I संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् ने आतंकवाद के विरुद्ध १६ अन्रार्राष्ट्रीय नियम बनाए हैं I संयुक्त राष्ट्र संघ के सदस्य राष्ट्र कडाई से इन नियमों का पालन कर रहे हैं I संयुक्त राष्ट्र संघ विश्व भर में आतंकवाद के रोक-थम के लिए कार्यरत है I विभिन्न देशों में कई कार्यक्रम आरंभ किए गए हैं जिनका मूल उद्देश्य आतंकवाद पर अंकुश लगाना हैI ९/११ की घटना न सिर्फ अमेरिका बल्कि पूरे विश्व के इतिहास में एक काले दिन के रूप में याद किया जाएगा I सिर्फ अमेरिका ही क्यों, इंग्लैंड में भी आतंकवादी घटनाएँ हो चुकी हैं I अफगानिस्तान कई वर्षों तक आतंकवाद की चपेट में रहा I भारत वर्ष पिछले तीन दशकों से आतंकवाद की समस्या से जूझ रहा है I हम इस समस्या से सबसे अधिक पीड़ित हैं I ऐसा कोई सप्ताह नहीं जाता जब कोई आतंकवादी घटना नहीं घटी हो I  आतंकवाद से सबसे अधिक जान-माल का नुक्सान हमारा ही हुआ है I भारत को चाहिए कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में वह पूरे विश्व की अगवाई करे I आज दुनिया के सभी देश भली भांति समझ चुके हैं की आतंकवाद सबकी समस्या है, किसी एक देश कि नहीं I

आतंकवाद रुपी इस समस्या का हल निकालने के लिए हम सब को एकजुट होकर कार्य करना होगा I मानवता को ऊपर उठाना होगा ताकि आतंकवाद का दमन किया जा सके I लोगों को अपनी आँखें खोलनी होंगी ताकि देश में ही नहीं, पूरे विश्व में शांति की स्थापना हो सके I दुनिया भर की सरकारों को आतंकवाद के मुद्दे पर एकमत होकर आगे बढ़ना होगा ताकि इस समस्या का कोई ठोस हल निकल सके I हमें अपने बीच की विविधताओं और असमानताओं को भुलाकर निरंतर आतंकवाद के विरुद्ध कार्यरत रहना होगा I युवा पीढी को सामने आना होगा और इस लड़ाई की बाग़-डोर अपने हाथों में लेनी होगी I युवाओं को अपने व्यक्तिगत स्वार्थ से ऊपर उठकर देश और Gसमाज के बारे में सोचना होगा I हमें नींद से जागना होगा और खुली आँखों से दुनिया देखनी होगी I

Thursday, October 7, 2010

आनेवाली परीक्षाओं के लिये शुभकामनाएं
सर... यह बिलकुल सच है की... गिरते है शेह्सवार मैदान ये
   जंग में... वोह तिफ़र क्या गिरें जो  घुटनू के  बल चलते हैं...

विन्प्रीत

Wednesday, October 6, 2010

मिल गयी मोती

ढूँढ रहा हूँ चीज़ कीमती
क्या आपको मिला 
मूल्य होना है अधिक कीमती 
क्या आपको मिला 
उसे पाने के लिये करेंगे हम मेहनती 
करते हैं हम मेहनती 
चाहते हैं हम चीज़ कीमती
मूल्य भी होना है अधिक कीमती 
हाँ ढूँढता हूँ ,ढूँढता हूँ मोती 
मिला है किसी को 
तो बता दो मुझको 
सुरक्षित रखेंगे हमेशा हम उसको 
याद रखेंगे जीवन भर हम आपको 
मिल गयी मिल गयी  मोती 
बतादो बतादो सबको मन चाहती 
मांगे बिना मिल गयी मोती 
वे ही हैं हमारे शिक्षक 
सिखाते हैं हमेशा सबक 
सत्य हैं मोती हैं हमारे शिक्षक 

- सुनील व रविशंकर ........