Nav Varsh ki shubh kamanayein hum sab ki
taraf se !!!!
नये साल की हार्दिक शुभकामनायें हम सब कि तरफ से !!!!
हैप्पी २०११
HAPPY 2011
-- रविशंकर
-- विन्प्रीत
Friday, December 31, 2010
Thursday, December 23, 2010
चालाक चेला
बहुत दिनों पहेले की बात है एक सन्यासी थ. एक दिन वह अपने एक चेल के यहाँ गया. उस दिन बहुत ठंड थी. भोजन के पहेले चेले ने विनती की कि आप स्नान करें . सन्यासी ने सोचा : " आज बहुत सर्दी लग रही है ; इसलिय स्नान कैसे करूँ " ? उसने अपने चेले से कहा, "में ज्ञान कि गंगा से स्नान कर चूका हूँ " . वह चेला बड़ा चालक था. वह जनता था कि उस सन्यासी में उतना ज्ञान नहीं है , वह तो केवल बहाना कर रहा है. पहले उस चेले ने अपने गुरु से सविनय प्रार्थना कि कि आब भोजन करें ! भोजन के बाद सन्यासी एक कमरे में आराम करने लगा . थोड़ी दीर के बाद उसे बड़ी प्यास लगी . उसने पानी पिलाने को कहा. चेले ने उत्तर दिया , "गुरु महराज जी , कृपा करके आपनी ज्ञान गंगा से पानी लीजिये". चीले ने पानी नहीं दिया . वह बड़ा नियत था. आखिर सन्यासी मान गया कि उस में वैसा ज्ञान नहीं है . उस ने झूठ कहा था .
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- कृपा . न
- सातवी कक्षा
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- कृपा . न
- सातवी कक्षा
Monday, December 20, 2010
श्रीमती सरोजिनी नायडू

"भारत कोकिला" के नाम से प्रसिद्ध श्रीमती सरोजिनी नायडू का जन्म फरवरी १८७९ को हैदराबाद में हुआ . इनके पिता श्री अघोरनाथ चट्टोपाध्याय वज्ञानिक ,दार्शनिक और शिक्षाविद थे . इनकी माता बरदा सुंदरी कवयित्री थीं .सरोजिनी को कविता लिखने का गुण अपनी माँ से मिला. वे बचपन में ही कविता लिखने लगी थीं .जब वे अपने मधुर स्वर में कविता गाती तो सब मंत्र -मुग्ध हो जाते थे इसलिए सरोजिनी को "भारत कोकिला" कहा जाता है . सरोजिनी बहुत बुद्धिमती थीं . इन्होने केवल बारह वर्ष की आयु में मद्रास युनिवेर्सिटी से मेट्रिक की परीक्षा उत्तीर्ण की और पूरी प्रसीडेंसि में इन्होनेप्रथम स्थान प्राप्त किया .
वर्ष १९०५ में बंग- विभाजन के विरोध के लिए वे स्वतंत्रता संग्राम में शामिल हो गई. वर्ष १९४२ में "भारत छोड़ो" आन्दोलन के समय वे २१ माह तक जेल में रही
तुम दीवाली बनकर
तुम दीवाली बनकर
तुम दीवाली बनकर जग का तम दूर करो,
मैं होली बनकर बिछड़े हृदय मिलाऊँगा!
सूनी है मांग निशा की चंदा उगा नहीं
हर द्वार पड़ा खामोश सवेरा रूठ गया,
है गगन विकल, आ गया सितारों का पतझर
तम ऐसा है कि उजाले का दिल टूट गया,
तुम जाओ घर-घर दीपक बनकर मुस्काओ
मैं भाल-भाल पर कुंकुम बन लग जाऊँगा!
तुम दीवाली बनकर जग का तम दूर करो,
मैं होली बनकर बिछड़े हृदय मिलाऊँगा!
कर रहा नृत्य विध्वंस, सृजन के थके चरण,
संस्कृति की इति हो रही, क्रुद्व हैं दुर्वासा,
बिक रही द्रौपदी नग्न खड़ी चौराहे पर,
पढ़ रहा किन्तु साहित्य सितारों की भाषा,
तुम गाकर दीपक राग जगा दो मुर्दों को
मैं जीवित को जीने का अर्थ बताऊंगा!
तुम दीवाली बनकर जग का तम दूर करो,
मैं होली बनकर बिछड़े हृदय मिलाऊँगा!
इस कदर बढ़ रही है बेबसी बहारों की
फूलों को मुस्काना तक मना हो गया है,
इस तरह हो रही है पशुता की पशु-क्रीड़ा
लगता है दुनिया से इंसान खो गया है,
तुम जाओ भटकों को रास्ता बता आओ
मैं इतिहास को नये सफे दे जाऊँगा!
तुम दीवाली बनकर जग का तम दूर करो,
मैं होली बनकर बिछड़े हृदय मिलाऊँगा!
मैं देख रहा नन्दन सी चन्दन बगिया में,
रक्त के बीज फिर बोने की तैयारी है,
मैं देख रहा परिमल पराग की छाया में
उड़ कर आ बैठी फिर कोई चिंगारी है,
पीने को यह सब आग बनो यदि तुम सावन
मैं तलवारों से मेघ-मल्हार गवाऊँगा!
तुम दीवाली बनकर जग का तम दूर करो,
मैं होली बनकर बिछड़े हृदय मिलाऊँगा!
जब खेल रही है सारी धरती लहरों से
तब कब तक तट पर अपना रहना सम्भव है!
संसार जल रहा है जब दुख की ज्वाला में
तब कैसे अपने सुख को सहना सम्भव है!
मिटते मानव और मानवता की रक्षा में
प्रिय! तुम भी मिट जाना, मैं भी मिट जाऊँगा!
तुम दीवाली बनकर जग का तम दूर करो,
मैं होली बनकर बिछड़े हृदय मिलाऊँगा!
- गोपालदास "नीरज"
तुम दीवाली बनकर जग का तम दूर करो,
मैं होली बनकर बिछड़े हृदय मिलाऊँगा!
सूनी है मांग निशा की चंदा उगा नहीं
हर द्वार पड़ा खामोश सवेरा रूठ गया,
है गगन विकल, आ गया सितारों का पतझर
तम ऐसा है कि उजाले का दिल टूट गया,
तुम जाओ घर-घर दीपक बनकर मुस्काओ
मैं भाल-भाल पर कुंकुम बन लग जाऊँगा!
तुम दीवाली बनकर जग का तम दूर करो,
मैं होली बनकर बिछड़े हृदय मिलाऊँगा!
कर रहा नृत्य विध्वंस, सृजन के थके चरण,
संस्कृति की इति हो रही, क्रुद्व हैं दुर्वासा,
बिक रही द्रौपदी नग्न खड़ी चौराहे पर,
पढ़ रहा किन्तु साहित्य सितारों की भाषा,
तुम गाकर दीपक राग जगा दो मुर्दों को
मैं जीवित को जीने का अर्थ बताऊंगा!
तुम दीवाली बनकर जग का तम दूर करो,
मैं होली बनकर बिछड़े हृदय मिलाऊँगा!
इस कदर बढ़ रही है बेबसी बहारों की
फूलों को मुस्काना तक मना हो गया है,
इस तरह हो रही है पशुता की पशु-क्रीड़ा
लगता है दुनिया से इंसान खो गया है,
तुम जाओ भटकों को रास्ता बता आओ
मैं इतिहास को नये सफे दे जाऊँगा!
तुम दीवाली बनकर जग का तम दूर करो,
मैं होली बनकर बिछड़े हृदय मिलाऊँगा!
मैं देख रहा नन्दन सी चन्दन बगिया में,
रक्त के बीज फिर बोने की तैयारी है,
मैं देख रहा परिमल पराग की छाया में
उड़ कर आ बैठी फिर कोई चिंगारी है,
पीने को यह सब आग बनो यदि तुम सावन
मैं तलवारों से मेघ-मल्हार गवाऊँगा!
तुम दीवाली बनकर जग का तम दूर करो,
मैं होली बनकर बिछड़े हृदय मिलाऊँगा!
जब खेल रही है सारी धरती लहरों से
तब कब तक तट पर अपना रहना सम्भव है!
संसार जल रहा है जब दुख की ज्वाला में
तब कैसे अपने सुख को सहना सम्भव है!
मिटते मानव और मानवता की रक्षा में
प्रिय! तुम भी मिट जाना, मैं भी मिट जाऊँगा!
तुम दीवाली बनकर जग का तम दूर करो,
मैं होली बनकर बिछड़े हृदय मिलाऊँगा!
- गोपालदास "नीरज"
Saturday, December 4, 2010
aayoo hansee !!
हवालदार - साब कल कैदीयोंने हवालातमे रामलीला प्रस्तुत की.
इन्स्पेक्टर - अरे वा , ये तो बहुत अच्छी बात है.
हवालदार - लेकिन साब, जो हनुमान बन गया था, वह संजीवनीका पौधा लाने गया था. वह अभीतक वापस नही आया है .
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मम्मी kuyun रो रही हो !!क्या तुम्हे
चोकोलेट chaiyee ???
................ जपना
हवालदार - साब कल कैदीयोंने हवालातमे रामलीला प्रस्तुत की.
इन्स्पेक्टर - अरे वा , ये तो बहुत अच्छी बात है.
हवालदार - लेकिन साब, जो हनुमान बन गया था, वह संजीवनीका पौधा लाने गया था. वह अभीतक वापस नही आया है .
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किसने किसकी स्टाइल चुराई????
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एक सलूट aaisaa भी !!!!!
मम्मी kuyun रो रही हो !!क्या तुम्हे
चोकोलेट chaiyee ???
................ जपना
Friday, November 26, 2010
prayer song
असतो मा सदगमय
तमसो मा ज्योतिर्गमय
मृत्योर्मामृतं गमय
ॐ शांति :! शांति:!! शांति:!!!
अर्थ हे ईश्वर , मुझे असत्य से सत्य , अन्धकार से प्रकाश मृत्यु से अमरता के रास्ते पर चेलने की प्रेरणा दे
English: Om! Lead me from untruth to truth, from darkness to light, and from death to imortality. Om! peace be!
peace be!!peace be!!!
तमसो मा ज्योतिर्गमय
मृत्योर्मामृतं गमय
ॐ शांति :! शांति:!! शांति:!!!
अर्थ हे ईश्वर , मुझे असत्य से सत्य , अन्धकार से प्रकाश मृत्यु से अमरता के रास्ते पर चेलने की प्रेरणा दे
English: Om! Lead me from untruth to truth, from darkness to light, and from death to imortality. Om! peace be!
peace be!!peace be!!!
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