बहुत दिनों पहेले की बात है एक सन्यासी थ. एक दिन वह अपने एक चेल के यहाँ गया. उस दिन बहुत ठंड थी. भोजन के पहेले चेले ने विनती की कि आप स्नान करें . सन्यासी ने सोचा : " आज बहुत सर्दी लग रही है ; इसलिय स्नान कैसे करूँ " ? उसने अपने चेले से कहा, "में ज्ञान कि गंगा से स्नान कर चूका हूँ " . वह चेला बड़ा चालक था. वह जनता था कि उस सन्यासी में उतना ज्ञान नहीं है , वह तो केवल बहाना कर रहा है. पहले उस चेले ने अपने गुरु से सविनय प्रार्थना कि कि आब भोजन करें ! भोजन के बाद सन्यासी एक कमरे में आराम करने लगा . थोड़ी दीर के बाद उसे बड़ी प्यास लगी . उसने पानी पिलाने को कहा. चेले ने उत्तर दिया , "गुरु महराज जी , कृपा करके आपनी ज्ञान गंगा से पानी लीजिये". चीले ने पानी नहीं दिया . वह बड़ा नियत था. आखिर सन्यासी मान गया कि उस में वैसा ज्ञान नहीं है . उस ने झूठ कहा था .
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- कृपा . न
- सातवी कक्षा
Ahankar chodna bahut achha hai
ReplyDeleteapne ko bade budhiman samajna kitne bevakoophi hai
moral of the story is very nice