Friday, February 25, 2011

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हम सब की ओर से दसवीं परीक्षार्थियों को शुभ कामनाएं 
                                              के. रविशंकर 

Wednesday, February 9, 2011

जल्लिंवाला बाग हत्याकान्थ

                                             जल्लिंवाला बाग हत्याकान्थ !!!


यह हत्याकांड ब्रिटिश बर्बरता का एक उदाहरण है. ब्रिटिश लुटेरे इस देश का कल्याण करने नहीं आये थे, बल्कि सोने कि चिड़िया हिंदुस्तान को लूटने के लिए आये थ . सोने की चिडिया हाथ से निकली जा रही थी. इस बीच प्रथम विश्व युद्ध आया तो उनको लगा कि अब हिनुस्तानी लोग उनके हाथ से निकल जायेंगे. लेकिन भारतीयों ने प्रथम विश्वयुद्ध में अंग्रेजों हर तरह से मदद कि क्योंकि इसके बदले उन्होंने हिंदुस्तान को आजाद करने का वाचन दिया था.
प्रथम विश्वयुद्ध में लगभग ४३,००० हिन्दुस्तानी लोग अंग्रेजों के लिये शहीद हो गए. लेकिन सोने कि चिड़िया को कौन आजाद करता है. अंग्रेज अपने वादे से मुकर गए. देश में इस कारण हर और असंतोष फैल गया. आजादी के लिए हर और कोशिश होने लगी. अप्रेल १३, १९१९ को अमृतसर के जालियांवाला बाग में काफी सारे लोग एक शांत सभा के लिए एकत्रित हुए. सभा के आरम्भ होने के लगभग एक घंटे बाद जनरल डायर लगभग ९० सैनिकों के साथ वहां पहुंचा. ५० के पास रायफल थे. बिना सूचना के गोली चलने का आदेश दिया गया. 1,650 गोले दागे गए और गोली दागना सिर्फ तब रोका गया जब लगभग सारी गोलियां खत्म हो गईं. 
कम से कम १००० लोग वहीं पर तडप तडप कर खतम हो गए. कम से कम ५०० लोग बुरी तरह घायल हो गए. उन लोगों ने मेरीआपकी खातिर अपना जीवन दान किया. लेकिन हम लोग ऐसे जीते हैं जैसे आजादी खैरात में मिली हो.

 ___  विन्प्रीत

Monday, January 24, 2011

sacha guru

         
सच्चा गुरु 
         कुछ ही वर्षों पुरानी बात है दीनदयाल नाम के एक सेठ अजमेर में रहते थे एक दिन उन्होंने एक पुस्तक में पढ़ा गुरु के बिना ज्ञान नहीं और ज्ञान के बिना मोक्ष नहीं  सेठ ने निश्चय किया कि एक ऐसे गुरु की तलाश की जाए जो बहुत ज्ञानी हो बहुत से गुरुओं के पास गए उन्हें जांचा परखा पर कोई खरा न निकला परन्तु तलाश का अंत न हुआ
        काफी दिन बीत गए सेठजी परेशान रहने लगे एक दिन सेठानी ने कहा," आप परेशान क्यों होते हो आप अपना काम करो यह काम मुझपर छोड़ दो जो मिला करे उसे मेरे पास भेज दिया करो " सेठजी सहमत हो गए एक झंझट समाप्त हुआ सेठानी ने पिंजड़े में एक कौवा पाला जो भी महात्मा वहां आते,उनसे यही कहती - "देखिये मेरा पाला कबूतर अच्छा है न"
       अनेक संत आए सभी कहते , " कबूतर कहाँ है कौआ है  परन्तु सेठानी अपनी बात पर अड़ी रहती  जब वे टस से मस नहीं होती तो संत क्रोध में भरकर उलटी - सीधी बातें कहते और वापस चले जाते
      सेठानी ने हार नहीं मानी यही क्रम चलता रहा बहुतेरे संत आए और चले भी गए कोई सेठानी की परीक्षा पर खरा नहीं उतरा  जो छोटी -छोटी बातों पर क्रोधित हो जाए वह संत कैसा ! जो संत नहीं वह गुरु योग्य नहीं 
      एक दिन वयोवृद्ध संत आए सत्कार करने के उपरांत सेठानी ने वही कौआ-कबूतर का किस्सा शुरू कर दिया
     वे संत आवेश में नहीं आए कौए और कबूतर का अंतर समझने लगे सेठानी को न समझना था  न वे समझी उनके न समझने पर संत इतना कहकर चले गए , "बेटी हठ मत करना  तथ्य का पता लगाना  कोई सर्वज्ञं नहीं हमसे भी और आपसे भी भूल हो सकती है सत्य को समझने के लिए मन के द्वार खुले रखने चाहिए " वे हँसते हुए चल  दिए  न क्रोध था और न आवेश , न मानापमान का भाव ही
    सेठानी संत को द्वार से वापस लौटा लाई नमन किया और उनके चरणों के निकट बैठकर बोली -"जैसा चाहती थी ,वैसा ही आप में पाया कृपया हमारे परिवार के गुरु का उतरदायित्व ग्रहण करे " घर के सभी लोग उनके शिष्य बन गए

Monday, January 10, 2011

Dedication of actions

कार्य समर्पणं 
Dedication of actions

कायेन वाचा मनसैन्दिर्येर्वा 
बुद्ध्यात्मना वा प्रकृते: स्वभावत 
करोमि यत्यद सकलं परस्मै 
नारायणायेति समर्पयामि  
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Whatever actions I perform with my body,speech,mind,senses,intellect,or by my nature - I dedicate them to the Lord Narayana.


हम सब की ओर से पोंगल की शुभकामनाएँ

Sunday, January 9, 2011

पोंगल की सभी  को  शुभ कामनाएं !!! Primrose के परिवार की ओर  से...


123 Greetings Pongal  123Orkut Pongal Scraps.

  ------  रवि  शंकर
  ------  विन्प्रीत

Friday, December 31, 2010

Happy New Year !!

Nav Varsh ki shubh kamanayein hum sab ki

taraf se !!!!

नये साल की हार्दिक शुभकामनायें हम सब कि तरफ से !!!!

                हैप्पी २०११

               HAPPY 2011

--  रविशंकर
-- विन्प्रीत

Thursday, December 23, 2010

चालाक चेला

बहुत दिनों पहेले की बात है एक सन्यासी थ.  एक दिन वह अपने एक चेल के यहाँ गया.  उस दिन बहुत ठंड थी. भोजन के पहेले चेले ने विनती की कि आप स्नान करें .  सन्यासी ने सोचा :  " आज बहुत सर्दी लग रही है ; इसलिय स्नान कैसे करूँ " ?  उसने अपने चेले से कहा, "में ज्ञान कि गंगा से स्नान कर चूका हूँ " . वह चेला बड़ा चालक था.  वह जनता था कि उस सन्यासी में उतना ज्ञान नहीं है , वह तो केवल बहाना कर रहा है.  पहले उस चेले ने अपने गुरु से सविनय प्रार्थना कि कि आब भोजन करें ! भोजन के बाद सन्यासी एक कमरे में आराम करने लगा . थोड़ी दीर के बाद उसे बड़ी प्यास लगी . उसने पानी पिलाने को कहा. चेले ने उत्तर दिया , "गुरु महराज जी , कृपा करके आपनी ज्ञान गंगा से पानी लीजिये". चीले ने पानी नहीं दिया . वह बड़ा नियत था. आखिर सन्यासी मान गया कि उस में वैसा ज्ञान नहीं है . उस ने झूठ कहा था .
                                                        
                                                               *******************
                                                                                                              - कृपा . न
                                                                        - सातवी कक्षा